पुणे-मुंबई हाईवे : बारिश के मौसम में होने वाले हादसों को टालने के लिए महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) ने पुराने पुणे-मुंबई महामार्ग पर स्थित 15 दुर्घटना संभावित स्थानों (ब्लैक स्पॉट्स) की मरम्मत की है. इससे दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है, ऐसी जानकारी राज्य सड़क विकास महामंडल के मुख्य अभियंता राहुल वसईकर ने दी. पिछले साल इसी क्षेत्र में अलग-अलग दुर्घटनाओं में लगभग 88 लोगों की मृत्यु हुई थी. (पुणे-मुंबई हाईवे )
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राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पुणे-मुंबई राजमार्ग के कुछ स्पॉट प्रशासन द्वारा चिन्हित किए गए है. जो दुर्घटनाओं के लिए कारणीभूत बताए गए.इसके मद्देनजर प्रशासन ने खबरदारी के तौर पर कुछ उपाययोजना की है. बता दे कि, 2018 में इस महामार्ग पर 269 मौतें हुई थीं. 2014 की तुलना में यह आंकड़ा 67% कम होकर 88 मौतों तक पहुंचा. 2025 की पहली तिमाही में केवल 6 मौतें हुई हैं, जबकि 2024 की पहली तिमाही में यह संख्या 24 थी.
इस महामार्ग के कुछ हिस्सों को लंबे समय से ब्लैक स्पॉट माना जाता रहा है. महामंडल ने सेव लाइफ फांउडेशन की मदद से विभिन्न समाधान सुझाए. इन 15 ब्लैक स्पॉट्स की जांच कर, आंकड़ों और इंजीनियरिंग उपायों के आधार पर स्थायी समाधान किए गए. इसके चलते दुर्घटनाओं की संख्या और मृत्यु दर में स्पष्ट गिरावट आई है.यह उपाय सोमाटणे फाटा टोल नाके के पास के लडकत पेट्रोल पंप से लेकर महानगर गैस लिमिटेड तक के हिस्से में लागू किए गए हैं. प्रमुख ब्लैक स्पॉट्स में वडगांव फाटा, कामशेत घाट क्षेत्र, शिलाटणे फाटा और खोपोली-खालापुर क्षेत्र शामिल हैं.
मरम्मत कार्य में शामिल सुधारों में शामिल हैं:
· दृश्यता में सुधार,
· पैदल यात्रियों की सुरक्षा के उपाय,
· तेज गति वाले वाहनों के लिए स्पीड ब्रेकर,
· बीच में कंक्रीट डिवाइडर की स्थापना,
· स्पीड नियंत्रण के उपाय और
· असुरक्षित वाहन चलाने वालों पर निगरानी रखने के लिए कैमरों का इस्तेमाल.