मुंबई: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अदानी समूह की तीन प्रमुख कंपनियों – अदानी ग्रीन एनर्जी, अदानी एनर्जी सॉल्यूशंस, और अदानी टोटल गैस – को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में शामिल कर लिया है। यह निर्णय 29 नवंबर 2024 से प्रभावी हो गया है।
शेयरों में तेज़ी का कारण
इस घोषणा के बाद इन तीनों कंपनियों के शेयरों में भारी ट्रेडिंग देखी गई और उनकी कीमतों में 14% तक की तेजी दर्ज की गई। निवेशकों के लिए यह खबर महत्वपूर्ण है क्योंकि F&O सेगमेंट में शामिल होने से स्टॉक्स की लिक्विडिटी और वॉल्यूम बढ़ता है।
F&O सेगमेंट में स्टॉक्स का चयन कैसे होता है?
NSE के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ आशीष चौहान ने कहा कि किसी स्टॉक को F&O में तभी जोड़ा जाता है जब उसके वॉल्यूम, लिक्विडिटी और डेरिवेटिव सेगमेंट में सक्रियता पर्याप्त हो। यह प्रक्रिया पूरी तरह से एल्गोरिथ्म-आधारित होती है और इससे बाज़ार में पारदर्शिता बढ़ती है।
निवेशकों के लिए फायदे और जोखिम
- फायदे:
1-F&O सेगमेंट में ट्रेडिंग के जरिए निवेशक हेजिंग कर सकते हैं, यानी बाजार की गिरावट से अपने निवेश की रक्षा कर सकते हैं।
2-डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से शॉर्ट-टर्म मुनाफे का अवसर मिलता है।
- जोखिम:
1-यह सेगमेंट अधिक जोखिम भरा होता है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो डेरिवेटिव्स में अनुभवहीन हैं।
2-अस्थिरता के कारण नुकसान का खतरा भी अधिक रहता है।
अदानी समूह के लिए इस कदम का महत्व
अदानी समूह के शेयर पहले से ही बाजार में उथल-पुथल का सामना कर रहे थे। यह कदम इन कंपनियों की बाजार में साख को मजबूत करने में सहायक हो सकता है।
विशेषज्ञों की सलाह
हालांकि F&O सेगमेंट में शामिल होना किसी स्टॉक के लिए सकारात्मक संकेत है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और केवल समझदारी से निवेश करना चाहिए। डेरिवेटिव्स का उपयोग सावधानीपूर्वक करने की आवश्यकता होती है।
इस खबर ने अदानी समूह के शेयरों के प्रति निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है और भारतीय डेरिवेटिव बाजार को और मजबूत करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।