राजीव गांधी आईटी पार्क: हिंजवडी के राजीव गांधी आईटी पार्क में पिछले हफ्ते हुई बारिश में कई सड़कें नदियों में तब्दील हो गई थीं. यही स्थिति इस हफ्ते दो बार फिर देखने को मिली. सरकारी एजेंसियों की संयुक्त बैठकें हुईं और केवल घोषणाएं की गईं, लेकिन जमीन पर आईटी पार्क की हालत “जस की तस” बनी हुई है. एमआईडीसी और पीएमआरडीए की लापरवाही के चलते आईटी प्रोफेशनल्स को पानी में नदी बनी सड़कों से गुजरना पड़ रहा है.
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‘फोरम फॉर आईटी एम्प्लॉइज’ ने इस स्थिति पर तंज कसते हुए कहा, शायद मुख्यमंत्री आईटी कर्मचारियों को ‘नदी किनारे घर तक’ की सुविधा देना चाहते हैं. पार्क में भारी बारिश के कारण जगह-जगह पानी भर गया, जिससे सरकारी प्रणालियों की जमकर आलोचना हुई. आईटी पार्क को ‘वॉटर पार्क’ में बदल देने जैसी तीखी टिप्पणी भी सामने आई है. इसके बाद पीएमआरडीए के आयुक्त डॉ. योगेश म्हसे ने एमआईडीसी और अन्य सरकारी विभागों के साथ बैठक लेकर 15 जून तक तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए थे. लेकिन उस तारीख के बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है.
जारी बारिश के चलते सड़कों पर फिर से पानी भर रहा है. वाहनों को इस पानी से जूझते हुए निकलना पड़ रहा है. हिंजवडी की बड़ी हाउसिंग सोसाइटियों के निवासियों ने इस पर कड़ी नाराज़गी जताई है और प्रशासन तथा नेताओं से इस पर तुरंत ध्यान देने की मांग की है. विशेषकर फेज 1 और फेज 2 में जलनिकासी की समस्या बेहद गंभीर हो गई है, जिससे आईटी कर्मचारियों को रात में घर लौटते समय भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, मात्र एक घंटे की बारिश में ही सड़कों पर पानी भर गया. कई दोपहिया और चार पहिया वाहन पानी में फंस गए. कुछ जगहों पर पानी की गहराई घुटनों तक पहुंच गई थी. ड्रेनेज व्यवस्था और नाले सफाई की कमी से यह समस्या और भी विकराल हो गई है. पिछले हफ्ते भी बारिश के कारण यातायात पूरी तरह ठप हो गया था, जिससे प्रशासन की तैयारी पर सवाल उठने लगे हैं.
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मुख्य समस्याएं :
- खस्ताहाल और कीचड़ से भरे रास्ते
- दिन-ब-दिन बढ़ती ट्रैफिक जाम की समस्या
- लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण
- टैंकर माफियाओं द्वारा नागरिकों का शोषण
- जाम पड़ी सीवरेज लाइने
- हर ओर फैला कचरे का अंबार
- कंपनियों से सीधे निकलता औद्योगिक अपशिष्ट
- अवैध निर्माण और अतिक्रमण
- अधिकार क्षेत्र को लेकर सरकारी एजेंसियों में टालमटोल
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हिंजवडी, मान और मारूंजी गावों में फैले आईटी पार्क के देखरेख व रखरखाव करने की एमआईडीसी और पीएमआरडीए की जिम्मेदारी है. लेकिन इनके बीच समन्वय की भारी कमी है. इस क्षेत्र में कई नाले और ओढे गायब हो चुके हैं. कई नालों पर अवैध निर्माण हो चुके हैं, जिन्हें पीएमआरडीए की मेहरबानी से हटाया नहीं गया. यही पानी अब सड़कों पर आकर नदी का रूप ले रहा है.