बारामती : महाराष्ट्र के बारामती विधानसभा क्षेत्र की, जहां उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके ही परिवार के युवा नेता युगेंद्र पवार आमने-सामने हैं।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार 2024 के विधानसभा चुनाव में बारामती से चुनाव लड़ रहे हैं, जो उनके परिवार का पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र है और एनसीपी का गढ़ माना जाता है। इस बार उनके सामने उनके ही परिवार के सदस्य, शरद पवार के समर्थक और भतीजे युगेंद्र पवार खड़े हुए हैं। यह चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि यह परिवार के भीतर ही एक शक्ति संघर्ष के रूप में देखा जा रहा है, जहां युगेंद्र ने शरद पवार का समर्थन प्राप्त किया है, और अजित पवार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन के तहत एनसीपी (अजित गुट) का नेतृत्व संभाल रखा है।
अब जान लेते हैं दोनों की कार्यशैली और इतिहास का विश्लेषण
अजित पवार ने अपने कार्यकाल के दौरान बारामती में कई विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाया है। उन्होंने क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाओं, स्कूलों, सड़कों और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए काम किया है। उनकी छवि एक कुशल और विकासोन्मुख नेता के रूप में रही है। दूसरी ओर, युगेंद्र पवार, युवा नेता के रूप में उभर रहे हैं, जो जनसंपर्क पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने “स्वाभिमान यात्रा” के माध्यम से लोगों तक पहुँच बनाई और स्थानीय मुद्दों पर आवाज़ उठाई, जिससे युवाओं में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है।
जनता का रुख क्या हैं?
बारामती के पुराने मतदाता अभी भी अजित पवार के साथ खड़े दिखते हैं, क्योंकि उन्होंने वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य किए हैं और लोगों के लिए विश्वसनीय नेता बने हुए हैं। हालांकि, शरद पवार के समर्थन और युवा नेतृत्व की वजह से युगेंद्र पवार भी अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। युवाओं और शरद पवार के अनुयायियों का समर्थन युगेंद्र को इस चुनाव में एक मजबूत दावेदार बनाता है। यह चुनाव क्षेत्रीय मतदाताओं के लिए दो पीढ़ियों के पवार नेताओं के बीच का चुनाव बन गया है।
तो क्या इस बार बारामती अपने पुराने नेता पर विश्वास बनाए रखेगा या नई पीढ़ी को मौका देगा? 23 नवंबर को चुनावी परिणाम बताएंगे कि जनता का दिल किसके साथ है।