अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला : भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला बुधवार को अंतरिक्ष में रवाना हुए और गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंच गए। वहां उनका 14 दिन का प्रवास तय है। लेकिन सबसे रोचक बात यह है कि पृथ्वी पर हम जहां एक दिन में एक सूर्योदय और एक सूर्यास्त देखते हैं, वहीं शुभांशु को अंतरिक्ष स्टेशन से 24 घंटे में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखने को मिल रहे हैं!
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कैसे संभव है यह? जानिए विज्ञान क्या कहता है
खगोलशास्त्री प्रभाकर दौड के अनुसार, पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में एक वर्ष (365 दिन) लगते हैं, जबकि खुद की धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे (एक दिन) लगते हैं। इसी कारण पृथ्वी पर हम दिन में एक बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं।
लेकिन ISS अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में 27,500 किमी/घंटा की रफ्तार से घूमता है। यह स्पेस स्टेशन लगभग हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है — यानी 24 घंटे में यह 16 चक्कर लगाता है। इसका मतलब हर 45 मिनट में शुभांशु एक सूर्योदय और फिर अगले 45 मिनट में एक सूर्यास्त देख रहे हैं। यानी 24 घंटे में 16 बार दिन और रात का अनुभव। 14 दिनों के मिशन में वह कुल 224 सूर्योदय और 224 सूर्यास्त देखेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स भी हाल ही में इसी अंतरिक्ष स्टेशन से लौटी हैं। वह आठ दिनों के लिए गई थीं, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते उन्हें साढ़े नौ महीने तक वहीं रुकना पड़ा।
भारत ने खर्च किए ₹584 करोड़, गगनयान की तैयारी जारी
शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत सरकार को 584 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। यह मिशन गगनयान और मानवयुक्त चंद्रयान अभियानों की तैयारी का एक हिस्सा है।
इसरो (ISRO) आने वाले वर्षों में भारत का खुद का अंतरिक्ष स्टेशन भी तैयार करेगा। पहले यह लक्ष्य 2030 तक का था, लेकिन अब यह 2035 तक संभावित माना जा रहा है।
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