हिमाचल में बादल फटने से तबाही: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में सोमवार रात हुई मूसलधार बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने भीषण तबाही मचाई। कई इलाकों में अचानक आए सैलाब से घर बह गए, खेत उजड़ गए और कई लोगों की जान चली गई। लोगों ने आंखों के सामने अपने घर उजड़ते देखे, तो कई परिवारों ने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया।
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गोहर उपमंडल की स्यांज पंचायत में सबसे दर्दनाक हादसा हुआ, जहां ज्यूणी खड्ड के उफान ने एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों को निगल लिया। दादी, परदादी, बेटा और पोता बाढ़ में बह गए। जिन घरों में कहानियां सुनाई जाती थीं, वहां अब केवल मलबा बचा है। पड़ोसी पदम देव भी पत्नी के साथ सुरक्षित होने के लिए उसी घर में पहुंचे थे, लेकिन दोनों परिवार सैलाब की भेंट चढ़ गए।
गोहर, करसोग, धर्मपुर और थुनाग उपमंडलों में भी रातभर की बारिश के बाद भारी तबाही हुई। कई घर, खेत और मवेशी बह गए। बाड़ा गांव में दादी और पोते की मौत हुई, हालांकि ग्रामीणों ने चार लोगों की जान बचाई।
406 सड़कें बंद, कई गांवों से संपर्क टूटा
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, 406 सड़कें बंद हैं, जिनमें से 248 सिर्फ मंडी जिले में हैं। 994 ट्रांसफार्मर ठप हैं। बाढ़ और मलबे से 24 घर, 12 मवेशी शेड, एक पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। अब तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लापता हैं। आपदा में 30 मवेशियों की भी जान चली गई है।
SEOC के मुताबिक, मंडी में 278, हमीरपुर में 51 और चंबा में 3 लोगों समेत कुल 332 लोगों को बचाया गया है। गोहर में 4, करसोग में 3, धर्मपुर में 2 और थुनाग में 1 जगह बादल फटने की सूचना है। तलवारा में एक और बाड़ा में दो मौतें, करसोग के पुराने बाजार और नेरी-कोटला (जोगिंदरनगर) में भी शव बरामद हुए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हमीरपुर में प्रेस से बातचीत में बताया कि 20 जून से अब तक हिमाचल को मानसून के चलते 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।