मुंबई :आज हम आपको एक नए तरीके के फ्रॉड के बारे में जानकारी देंगे जो ऑनलाइन शेयर-ट्रेडिंग की दुनिया में तेजी से बढ़ता जा रहा है। डीपफेक वीडियो और अन्य तकनीकों का उपयोग कर, किस तरह से आम निवेशकों को धोखा दिया जा रहा है,
हाल के वर्षों में ऑनलाइन शेयर-ट्रेडिंग फ्रॉड की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। इसमें सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि अपराधी अब डीपफेक तकनीक और अन्य डिजिटल ट्रिक्स का इस्तेमाल करके फर्जी वीडियो बनाते हैं, जिनमें बड़े उद्योगपतियों, वित्तीय विशेषज्ञों, या निवेश सलाहकारों के चेहरे और आवाज का उपयोग होता है। उदाहरण के तौर पर, एक डीपफेक वीडियो में किसी बड़े निवेशक को यह कहते हुए दिखाया जा सकता है कि “इस कंपनी के शेयर में निवेश करने से भारी मुनाफा हो सकता है।” इन वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है, जिससे लोगों में फर्जी निवेश करने की रुचि उत्पन्न होती है।
कुछ मामले उदाहरण के तौर पर देखें तो हाल में, एक व्यक्ति ने एक फर्जी वेबसाइट के जरिए एक शेयर में निवेश किया, जो वीडियो में एक बड़े विशेषज्ञ द्वारा प्रमोट किया गया था। इसके कुछ समय बाद ही यह पाया गया कि न तो वह कंपनी असल में मौजूद थी, और न ही निवेश किया गया पैसा वापस मिलने वाला था। आंकड़ों के अनुसार, इस तरह के शेयर-ट्रेडिंग फ्रॉड में देशभर में निवेशकों के लाखों रुपये फंस चुके हैं, जिनमें से बहुत कम ही निवेशक अपनी रकम वापस पा सके हैं।
इन फर्जी वेबसाइटों, डीपफेक वीडियो, और नकली ईमेल का शिकार मुख्य रूप से नए निवेशक होते हैं। कई बार स्कैमर्स पॉप-अप विज्ञापन का सहारा भी लेते हैं, जिनमें क्लिक करते ही निवेशक किसी फर्जी प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाता है और निवेश करने के बाद अपनी पूंजी गंवा बैठता है।
विशेषज्ञों के अनुसार साइबर विशेषज्ञ बताते हैं कि डीपफेक तकनीक इतनी सटीक होती जा रही है कि एक सामान्य व्यक्ति के लिए नकली और असली वीडियो में फर्क कर पाना लगभग असंभव हो जाता है। यही कारण है कि साइबर क्राइम के इन मामलों को पकड़ना और अपराधियों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण बन गया है। विशेषज्ञों की सलाह है कि लोग किसी भी निवेश से पहले उस कंपनी या व्यक्ति की सत्यता की पूरी जानकारी प्राप्त करें। ऐसे मामलों से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अनजाने स्रोतों से आने वाली निवेश सलाह पर भरोसा न करें और हमेशा लाइसेंस प्राप्त और विश्वसनीय निवेश प्लेटफॉर्म का ही इस्तेमाल करें।
आंकड़े के अनुसार 2023 के आंकड़ों के अनुसार, साइबर फ्रॉड की कुल घटनाओं में से लगभग 35% घटनाएं ऑनलाइन ट्रेडिंग फ्रॉड से संबंधित थीं। यह देखा गया है कि इस तरह के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20% की वृद्धि हुई है, और डीपफेक तकनीक का उपयोग इसमें सबसे अधिक योगदान दे रहा है।
अब आपने समझ लिया होगा की कैसे नई तकनीकों के जरिए साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए आधुनिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए बिना जांच-पड़ताल के किसी भी निवेशक की किसी भी सलाह पर भरोसा न करें।