और जानिये मतदाताओं का रुझान
मुंबई : 2019 का विधानसभा चुनाव: 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच था।
चुनाव परिणाम: भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला (105 सीटें भाजपा और 56 सीटें शिवसेना)। हालांकि, शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर भाजपा से नाता तोड़ लिया और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के तहत कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई।
प्रमुख मुद्दे: किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी, और बुनियादी ढांचे का विकास।
चुनावी परिदृश्य: मतदाताओं में मोदी सरकार की लोकप्रियता का प्रभाव दिखा, लेकिन स्थानीय स्तर पर शिवसेना और भाजपा के गठबंधन टूटने से राजनीतिक अस्थिरता आई।
2024 का विधानसभा चुनाव: तीन-ध्रुवीय राजनीति और बदले समीकरण.2024 में महाराष्ट्र चुनाव एक अलग परिदृश्य प्रस्तुत कर रहा है.
मुलाकातें और गठबंधन: भाजपा-शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट)-अजित पवार गुट (एनसीपी) का गठबंधन महायुति के रूप में चुनाव लड़ रहा है। वहीं, एमवीए (उद्धव ठाकरे गुट, कांग्रेस, और शरद पवार गुट) इस बार मुख्य विपक्षी मोर्चा है।
प्रमुख मुद्दे: मराठा आरक्षण, किसानों की कर्जमाफी, बाढ़ राहत, और हिंदुत्व की राजनीति।
मतदाताओं का रुझान: ग्रामीण क्षेत्रों में एमवीए का समर्थन मजबूत दिख रहा है, विशेषकर मराठा और मुस्लिम समुदायों में।शहरी क्षेत्रों में भाजपा और महायुति का प्रभाव बना हुआ है, खासकर मुंबई और पुणे जैसे महानगरों में।दलित और आदिवासी मतदाता अभी भी विभाजित हैं, क्योंकि पारंपरिक दलित राजनीति कमजोर हो चुकी है।
दोनों चुनावों में अंतर
1. राजनीतिक ध्रुवीकरण: 2019 में शिवसेना और भाजपा साथ थे, जबकि 2024 में शिवसेना दो गुटों में विभाजित हो चुकी है।
2. नए गठबंधन: 2019 में एनसीपी और कांग्रेस साथ थे, जबकि 2024 में अजित पवार एनसीपी से अलग होकर भाजपा के साथ हैं।
3. प्रचार रणनीति: 2019 में मोदी लहर हावी थी, जबकि 2024 में स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों पर अधिक ध्यान है।
वर्तमान चुनावी माहौल
2024 का चुनाव जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर अधिक निर्भर है। मराठा आरक्षण आंदोलन और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत जैसे मुद्दे मतदाताओं की प्राथमिकता में हैं। हालांकि, भाजपा की हिंदुत्व और विकास योजनाओं पर जोर देने वाली रणनीति शहरी मतदाताओं को प्रभावित कर रही है।
संभावित नतीजे और प्रभाव
2024 का चुनाव महाराष्ट्र में सत्ता समीकरण को बदल सकता है। महायुति का मजबूत गठबंधन इसे निर्णायक बढ़त दिला सकता है, लेकिन एमवीए की ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ उसे कड़ी टक्कर दे रही है। मतदाताओं का फैसला इस बार गठबंधन के प्रति वफादारी से अधिक, स्थानीय मुद्दों और स्थिरता की ओर झुका हुआ दिखता है।