एकनाथ शिंदे बनाम केदार दिघे

Eknath Shinde vs Kedar Dighe

कोपरी-पाचपाखाड़ी : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में ठाणे की कोपरी-पाचपाखाड़ी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। यहां शिवसेना के दो नेता आमने-सामने हैं। एक तरफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं, जो यहां से लगातार चार बार जीत दर्ज कर चुके हैं और अपनी परंपरागत सीट को बचाने के लिए फिर से चुनाव मैदान में उतरे हैं। वहीं दूसरी ओर, उनके खिलाफ शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के उम्मीदवार केदार दिघे खड़े हैं, जो दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे के भतीजे हैं। आइए जानते हैं, क्यों यह चुनाव इतना अहम है और किन मुद्दों के चलते यहां पर कांटे की टक्कर है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का इतिहास और कामकाज

एकनाथ शिंदे पिछले कई दशकों से ठाणे में एक मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं। अपने राजनीतिक गुरु आनंद दिघे से प्रेरणा पाकर उन्होंने शिवसेना के साथ शुरुआत की और कोपरी-पाचपाखाड़ी से 2009 से लगातार जीतते आए हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद, शिंदे ने ठाणे में विकास के कई काम किए हैं। उन्होंने ठाणे में सड़कों, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की, जिससे जनता के बीच उनकी छवि एक “विकास पुरुष” की बनी है।

केदार दिघे का प्रभाव और राजनीतिक पृष्ठभूमि –

दूसरी ओर, केदार दिघे का नाम भी ठाणे में बड़ा है। शिवसेना के संस्थापक सदस्यों में से एक, आनंद दिघे के परिवार से ताल्लुक रखने के कारण, उनके पास स्थानीय जनता का एक खास वर्ग का समर्थन है। वह उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट के उम्मीदवार हैं, और अपनी रैली और अभियानों में शिंदे के नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं। वह शिंदे गुट के सत्ता में रहते हुए ठाणे में विकास के कार्यों में कमी का मुद्दा भी उठा रहे हैं।

क्यों है यह मुकाबला अहम ?

यह चुनाव महज सीट जीतने की लड़ाई नहीं है, बल्कि शिवसेना की एकता और विचारधारा का सवाल भी है। दोनों उम्मीदवारों के पास जनता में मजबूत पकड़ है, लेकिन शिंदे का अनुभव और मुख्यमंत्री पद की लोकप्रियता उनके पक्ष में जा सकती है। दूसरी ओर, केदार दिघे, शिवसेना के पुराने मूल्यों और उद्धव ठाकरे के प्रति वफादारी का प्रचार करते हुए एक भावनात्मक मुद्दा बना रहे हैं।

दोनों में जीत की संभावना कितनी है –

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि शिंदे के पास अनुभव और राज्य सरकार में उनकी स्थिति का लाभ है, जिससे उनकी जीत की संभावना मजबूत है। हालांकि, केदार दिघे की भावनात्मक अपील और उद्धव गुट के समर्थकों का समर्थन उन्हें भी एक मजबूत प्रतिस्पर्धा में बनाए हुए है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता विकास की राजनीति को चुनती है या भावनात्मक अपील को।

तो क्या ठाणे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मजबूत पकड़ कायम रहेगी या केदार दिघे शिवसेना के पुराने मूल्यों के साथ जनता का समर्थन जीतने में कामयाब होंगे? इस सवाल का जवाब हमें 23 नवंबर को चुनावी परिणामों से मिलेगा।

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