‘दगडुशेठ’ मंदिर में वासापूजन संपन्न
गणपति फेस्टिवल 2025: श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपती ट्रस्ट और सुवर्णयुग तरुण मंडल की ओर से इस वर्ष गणेशोत्सव के 133वें वर्ष के उपलक्ष्य में केरल स्थित प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की भव्य प्रतिकृति तैयार की जा रही है. इस ऐतिहासिक सजावट की शुरुआत वासापूजन के साथ हुई, जिससे इस पावन कार्य का विधिवत श्रीगणेश हुआ. पारंपरिक उत्सव स्थल जय गणेश प्रांगण (बुधवार पेठ) में यह वासापूजन विधि संपन्न हुई. (गणपति फेस्टिवल 2025)
इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील रासने, उपाध्यक्ष माणिक चव्हाण, कोषाध्यक्ष महेश सूर्यवंशी, सरचिटणीस व विधायक हेमंत रासने, सहचिटणीस अमोल केदारी, उत्सव प्रमुख अक्षय गोडसे, सुवर्णयुग तरुण मंडल के अध्यक्ष प्रकाश चव्हाण, यतीश रासने, सौरभ रायकर, मंगेश सूर्यवंशी, राजाभाऊ चव्हाण, राजाभाऊ सूर्यवंशी समेत कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित, भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर भारत के 108 दिव्य देशम में से एक माना जाता है. अत्यंत पवित्र और भव्य इस मंदिर की कलात्मक प्रतिकृति इस वर्ष के गणेशोत्सव में पुणेकरों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी.
यह प्रतिकृति 120 फीट लंबी, 90 फीट चौड़ी और 100 फीट ऊंची होगी. इसमें 30 भव्य स्तंभ और देवी-देवताओं और ऋषियों की 500 मूर्तियां होंगी. गुंबद को गोल्डन कलर से सजाया जाएगा और पूरी छत अष्टकोणीय आकार में बनाई जाएगी. मुख्य सभा हॉल में स्तंभों को ढीले ढंग से डिजाइन किया गया है, जिससे भक्तगण दूर से ही आसानी से देवता के दर्शन कर सकें. मंदिर का काम कला निर्देशक विनायक रास्कर ने किया है, जबकि मंडप की व्यवस्था काले मंडववाले ने ने संभाली है.
प्रतिकृति का आकार:
लंबाई: 120 फीट
चौड़ाई: 90 फीट
ऊँचाई: 100 फीट
इस वर्ष का दगडूशेठ गणेश उत्सव, श्रद्धा और भव्यता का अद्वितीय संगम बनकर पुणे के सांस्कृतिक वैभव में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ेगा. बता दें कि पुणे शहर में गणेश उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है. जिसमें हर साल दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपती ट्रस्ट नयी-नयी प्रतिकृति बनाती है. और इससे देखते पुरे महाराष्ट्र के साथ-साथ देश-विदेश से लोग आते है. इस साल 27 अगस्त, 2025 को गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है. इससे देखते हुए इसकी तैयारियां शुरू कर दी गयी है.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रमुख खासियत यह है कि यह दुनिया का सबसे धनी मंदिर माना जाता है, जिसमें सोने, हीरे और अन्य कीमती धातुओं का एक विशाल खजाना है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और तिरुवनंतपुरम में स्थित है.