How Court Decides Alimony Amount: क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का तलाक हो गया है. बांद्रा फैमिली कोर्ट ने उनकी तलाक याचिका पर मुहर लगा दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि में छूट की दे दी थी. तलाक के समझौते के तहत धनश्री वर्मा को चहल से 4.75 करोड़ रुपये की एलिमनी मिली है. यह राशि आपसी सहमति से तय की गई थी. कोर्ट ने इस समझौते को मंजूरी दी और सुनिश्चित किया कि दोनों पक्षों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. हालांकि, सवाल यह है कि कोर्ट कैसे यह रकम तय करती है? (How Court Decides Alimony Amount)
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एलिमनी कैसे तय की जाती है?
भारतीय कानून में एलिमनी की राशि तय करने का कोई सटीक फॉर्मूला नहीं है. अदालतें मामले के प्रकार के आधार पर राशि तय करती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कहा था कि एलिमनी केवल एक साथी को दंडित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह आश्रित साथी की वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने के लिए दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने एक ही निर्देश में मुख्य रूप से आठ कारक तय किए थे. यह आठ कारक है :
- दोनों पक्षों की वित्तीय स्थिति
- उनकी कमाई की क्षमता
- शादी के दौरान किए गए योगदान
- पत्नी और बच्चों की ज़रूरतें
- पति की वित्तीय स्थिति और दायित्व
- शादी के दौरान पत्नी की जीवनशैली
- क्या किसी भी पक्ष ने अपने करियर से समझौता किया?
- क्या पत्नी के पास आय के अपने स्रोत हैं?
क्या पुरुष साथी एलिमनी मांग सकता है?
आमतौर पर माना जाता है कि एलिमनी पाने के लिए सिर्फ पत्नी ही पात्र होती है. हालांकि, भारतीय कानून के अनुसार, पति भी एलिमनी मांग सकता है. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत, अगर पति यह साबित कर देता है कि वह आर्थिक रूप से पत्नी पर निर्भर था, तो वह एलिमनी मांग सकता है. हालांकि, अदालत सख्त जांच करती है और पति को यह भी साबित करना होता है कि वह वास्तविक कारणों से काम करने में असमर्थ था.
हाई-प्रोफाइल तलाक और एलिमनी –
ऋतिक रोशन-सुजैन खान: रिपोर्ट्स के मुताबिक, तलाक के सेटलमेंट में करीब 400 करोड़ रुपये मांगे गए थे.
सैफ अली खान-अमृता सिंह: सैफ को करोड़ों रुपये का गुजारा भत्ता देना पड़ा.
करण मेहता-निशा रावल: कोर्ट ने 1.5 करोड़ रुपये का सेटलमेंट पास किया.
अन्य देशों में एलिमनी कैसे तय कि जाती है?
यूएसए: कुछ राज्यों में एक निश्चित फॉर्मूला है, जबकि कुछ राज्यों में जज अलग-अलग कारकों को ध्यान में रखते हैं.
यूके: कोर्ट का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तलाक के बाद भी दोनों पार्टनर एक अच्छा जीवन जी सके.
जर्मनी और फ्रांस: तलाक के बाद कुछ समय के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है.
चीन और जापान: एलिमनी की राशि नाममात्र है और आमतौर पर एकमुश्त राशि के रूप में होती है.
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