इंद्रायणी नगर बना कूड़े-कचरे का ढेर: पिंपरी-चिंचवड़ मनपा ने कूड़े दानों को हटा दिया है और कूड़ा फेंकने वाले नागरिकों पर जुर्माना लगाकर शहर को साफ-सुथरा बनाने के कई प्रयास किये है. लेकिन बावजूद इसके, लोगों द्वारा परिसर में अंधाधुंध तरीके से कूड़ा फेंका जा रहा है. भोसरी में इंद्रायणी नगर इसका ज्वलंत उदाहरण बन गया है, जहां कूड़े के बड़े-बड़े ढेर जमा हो रहे हैं. दुर्गंध फैल रही है और निवासियों तथा आवारा पशुओं दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो रहा है. (इंद्रायणी नगर बना कूड़े-कचरे का ढेर)
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पिंपरी-चिंचवड़ के कई इलाकों में अनियंत्रित तरीके से कूड़ा फेंका जा रहा है, जबकि मनपा अधिकारियों ने कूड़ा फेंकने से बचने के लिए कूड़ा संग्रह बिंदु हटा दिए हैं. कूड़ा फेंकने वाले स्थानों की जगह सजावटी फूलों के गमले लगाकर स्वच्छता बनाए रखने के प्रयास किए गए. स्वच्छ भारत मिशन के तहत, पीसीएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने पर्यावरण संबंधी खतरों को कम करने और स्वच्छता में सुधार करने के लिए शहरी कूड़े के ढेरों को लैंडस्केप क्षेत्रों में बदलने के लिए सौंदर्यीकरण परियोजनाएं शुरू कीं. इस तरह के प्रयास सतत विकास और पर्यावरण के अनुकूल, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक शहरी स्थान में योगदान करते हैं.
फिर भी शहर भर में कई स्थानों पर लापरवाही से कूड़ा फेंका जाना जारी है. निवासी अक्सर कचरा संग्रह ट्रकों के गुजरने के बाद भी गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कचरे का निपटान करते हैं. हैरानी की बात यह है कि लग्जरी वाहनों में यात्रा करने वाले सुशिक्षित व्यक्ति भी सड़कों पर कचरा फेंकते देखे गए हैं. समस्या मानवीय व्यवहार से कहीं आगे की है- आवारा मवेशी और जानवर सड़कों पर बिखरे प्लास्टिक कचरे को खा रहे हैं. प्लास्टिक कैरी बैग पर सरकार के प्रतिबंध के बावजूद, प्रमुख मार्गों पर प्लास्टिक की थैलियों के बड़े-बड़े ढेर दिखाई देते हैं, जो प्रवर्तन चुनौतियों को उजागर करते हैं.
पीसीएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने सड़क की सफाई और घरेलू कचरा संग्रह के लिए कई ठेकेदारों को नियुक्त किया है, इन सेवाओं के लिए हर महीने लाखों रुपये वितरित किए जाते हैं. हालांकि, कूड़ा एक लगातार समस्या बनी हुई है, और ठेकेदारों की लापरवाही स्पष्ट दिखाई देती है.