LGBTQ community rights: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि समलैंगिक पार्टनर के साथ रहने का पूरा अधिकार है और इसमें माता-पिता को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। यह फैसला न्यायमूर्ति आर. रघुनंदन राव और न्यायमूर्ति के. महेश्वर राव की खंडपीठ ने दिया।
यह मामला एक युवती की याचिका पर आधारित था। युवती अपनी समलैंगिक पार्टनर के साथ रह रही थी, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे जबरदस्ती घर लाकर उसकी इच्छा के खिलाफ नरसीपटनम स्थित घर में बंद कर दिया।
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याचिका में युवती ने बताया कि उसके माता-पिता उसकी व्यक्तिगत आजादी में बाधा डाल रहे हैं और उसे अपनी समलैंगिक पार्टनर के साथ रहने से रोक रहे हैं। अदालत ने इस मामले में युवती के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि एक वयस्क व्यक्ति को अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने और साथ रहने का अधिकार है। इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।(LGBTQ community rights)
इस फैसले को LGBTQ समुदाय के अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी की निजी जिंदगी में दखल देना कानूनन गलत है।