पहलगाम हमले से जम्मू-कश्मीर पर्यटन को फटका: जम्मू-कश्मीर…. “धरती का स्वर्ग” कहलाने वाला नयनरम्य पर्यटक स्थल 22 अप्रैल, 2025 को “धरती का नर्क” बन गया. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ जिसमें 27 हिंदू नागरिकों की जान चली गई. इस घटना से पूरा देश हिल गया है. कश्मीर में सामान्य जीवन और पर्यटन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. इसका सीधा असर टूर और ट्रैवल कंपनियों पर पड़ा है. घाटी में असुरक्षित माहौल का हवाला देते हुए लगभग सभी लोगों ने आनेवाले समय की बुकिंग रद्द कर दी हैं. (पहलगाम हमले से जम्मू-कश्मीर पर्यटन को फटका, टूर और ट्रैवल कंपनियों को भारी नुकसान )
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जनवरी से ही जम्मू-कश्मीर में पर्यटन बढ़ जाता है. यह साल का वो समय है जब घाटी पूरी तरह बर्फ से ढक जाती है. दुनिया भर से पर्यटक ऊंचे अल्पाइन पेड़ों, बर्फ से ढके पहाड़ों को देखने आते हैं. महाराष्ट्र से पर्यटकों की संख्या अधिक रहती है. जनवरी से ही हनीमून ट्रिप, फैमिली ट्रिप, छात्रों के समूह जम्मू-कश्मीर में उमड़ पड़ते हैं. जनवरी से जून तक जम्मू-कश्मीर में पर्यटन का मौसम होता है. हालांकि, अब तस्वीर अलग है. पहलगाम हमले ने लोगों की सोच बदल दी है. लोग अब जम्मू-कश्मीर जाने से कतराने लगे हैं और इससे टूर और ट्रैवल कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.
इस हमले के समय उस इलाके में ढाई से तीन हजार पर्यटक थे. हर महीने लाखों लोग पहलगाम और आसपास के इलाकों में पर्यटन के लिए आते हैं. हालांकि, पर्यटकों ने पहले से बुक किए गए अधिकतर टूर कैंसिल कर दिए हैं. घाटी से वापसी की कोई गारंटी न होने के कारण पर्यटकों ने यह फैसला लिया है. इन टूर के लिए फ्लाइट टिकट, होटल बुकिंग और अन्य सुविधाएं बुक करने के बावजूद 70 फीसदी से अधिक पर्यटक अपनी यात्रा की योजना रद्द कर रहे हैं. साथ ही, पर्यटक पैसे वापस मांग रहे हैं, इससे ट्रैवल ऑपरेटरों को भारी नुकसान हो रहा है.
वहीं दूसरी ओर 25 से 30 फीसदी पर्यटक अभी भी घाटी में घूमने के लिए उत्सुक हैं. उनके मुताबिक, हमले के कारण अब सेना ने सब कुछ अपने हाथ में ले लिया है. कड़ी सुरक्षा है. इसलिए, फिर से ऐसी घटना होने की संभावना फिलहाल कम है. यही सोचकर कुछ नागरिक इस टूर पर जाने के अपने फैसले पर अड़े हुए हैं. हालांकि, चूंकि बुकिंग रद्द करने वालों की संख्या बहुत ज़्यादा है, इसलिए ट्रैवल ऑपरेटरों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस नुकसान की भरपाई कैसे की जाए.
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