Plastic Ban Pune: राज्य सरकार द्वारा 2018 में प्लास्टिक कैरी बैग पर लगाए गए प्रतिबंध को सात साल बीत चुके हैं, लेकिन पुणे शहर में इसका असर दिखाई नहीं दे रहा हैं. सब्जी मंडियों से लेकर किराना दुकानों और फुटपाथ के विक्रेताओं तक, हर जगह पतली प्लास्टिक कैरी बैग का बिना रोकटोक इस्तेमाल हो रहा है. पुणे महानगरपालिका की ओर से कार्रवाई के दावे जरूर किए जा रहे हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ये प्रयास दिखावटी और प्रभावहीन साबित हो रहे हैं. जनवरी से मई 2025 तक की अवधि में मनपा ने कुल 635 स्थानों पर छापे मारे, जिसमें 1671 किलो प्लास्टिक कैरी बैग जब्त किए गए और 32.15 लाख का जुर्माना वसूला गया हैं. कई बार कार्रवाई के शुरू होने से पहले ही व्यापारियों को कार्रवाई की जानकारी मिलने से सही ढंग से कार्रवाई नहीं हो रही है. (Plastic Ban Pune)
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पुणे मनपा के ठोस कचरा प्रबंधन विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती हैं जिसके तहत जनवरी में सबसे अधिक 255 ठिकानों पर कार्रवाई हुई. इसमें 659 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया और 12.95 लाख का जुर्माना वसूला गया. फरवरी में 144 जगहों पर कार्रवाई कर 280 किलो प्लास्टिक पकड़ा गया और 7.25 लाख वसूले गए. मार्च में 80 ठिकानों से 288 किलो प्लास्टिक मिला और 4.05 लाख का दंड वसूला गया. अप्रैल में 93 जगहों से 202 किलो प्लास्टिक जब्त कर 4.75 लाख का जुर्माना वसूला गया. वहीं मई में 63 ठिकानों से 242 किलो प्लास्टिक के साथ 3.15 लाख का दंड वसूला गया. इन आंकड़ों से यह जरूर साबित होता है कि मनपा द्वारा कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि इन कार्रवाइयों का वास्तविक असर शहर में नहीं दिख रहा है. कई बाजारों और दुकानों में अब भी ग्राहक को प्लास्टिक बैग में सामान दिया जाता है. कई बार दुकानदारों को पहले से सूचना दे दी जाती है कि निरीक्षण टीम आने वाली है, जिससे वे प्लास्टिक बैग छिपा लेते हैं. यहां तक कि कुछ जगहों पर जुर्माना से बचने के लिए मामूली रकम देकर मामला शांत किया जाता हैं.
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक कैरी बैग के कारण नालों में प्लास्टिक जमा होता है, जिससे बारिश के मौसम में जलजमाव जैसी समस्या खड़ी होती है. इसके अलावा प्लास्टिक प्रदूषण से शहर की स्वच्छता और पर्यावरण संतुलन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. नागरिकों को वैकल्पिक जैसे कागज, कपड़े और जूट बैग के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने हेतु जनजागृति अभियान भी चलाया जाना चाहिए. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि केवल जुर्माना वसूलने से समस्या का समाधान नहीं होगा. जब तक राजनीतिक इच्छाशक्ति, सतत निगरानी और समाज स्तर पर सहभाग निर्माण नहीं होता, तब तक यह प्रतिबंध केवल कागजों तक ही सीमित रहेगा.
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पुणे शहर में प्लास्टिक कैरी बैग पर रोक की हकीकत सरकारी बयानों से उलट है. आंकड़े बताते हैं कि मनपा सक्रिय है, लेकिन धरातल पर इसका कोई ठोस असर नहीं दिखता. यदि प्रशासन और समाज ने गंभीरता नहीं दिखाई, तो प्लास्टिक प्रतिबंध सिर्फ एक दिखावटी आदेश बनकर रह जाएगा और पर्यावरण पर इसका गंभीर दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा.