PUNE पुस्तक महोत्सव की पूर्व संध्या पर पुस्तकें इस्तेमाल करके सरस्वती के प्रतीक का निर्माण कर गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किया गया। इस रिकॉर्ड के लिए ४,१८९ पुस्तकों का उपयोग किया गया। गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने इस विश्वविक्रम की आधिकारिक घोषणा करते हुए प्रमाणपत्र प्रदान किया। यह रिकॉर्ड पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज मैदान पर १४ से २२ दिसंबर तक आयोजित पुणे पुस्तक महोत्सव के दौरान दर्ज किया गया।
इस कार्यक्रम में विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे, विधायक चित्रा वाघ, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष डॉ. मिलिंद मराठे, लोकमान्य मल्टिपर्पज को-ऑप. सोसायटी के अध्यक्ष किरण ठाकूर, पुणे पुस्तक महोत्सव के संयोजक राजेश पांडे, कृष्णकुमार गोयल, संयोजन समिति के सदस्य प्रसेनजित फडणवीस, बागेश्री मंठाळकर, अॅड. मंदार जोशी, डॉ. संजय चाकणे और गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी प्रवीण पटेल उपस्थित थे।
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इस विश्वविक्रम कलाकृति के निर्माण में नीलकंठ प्रकाशन और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की पुस्तकों का उपयोग किया गया। इस कलाकृति के निर्माण के लिए कई मानदंडों पर मूल्यांकन किया गया, जैसे कि कम से कम १,००० वर्ग मीटर क्षेत्र, अच्छी स्थिति में पुस्तकों का उपयोग, और पाँच अलग-अलग रंगों का उपयोग। इन सभी मानदंडों को पूरा करके इस कलाकृति को विश्वविक्रम के रूप में दर्ज किया गया।