मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की करारी हार के बाद गठबंधन में आंतरिक मतभेद उभरने लगे हैं। शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट), और कांग्रेस के इस गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा में खराब नतीजों ने तीनों दलों को नए सिरे से रणनीति पर विचार करने को मजबूर कर दिया है। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद और चुनावी सीटों के बंटवारे को लेकर असहमति ने गठबंधन को कमजोर कर दिया है। नाना पटोले और उद्धव ठाकरे गुट के बीच बयानबाजी से तनाव और बढ़ गया है।
बीएमसी चुनाव पर राजनीतिक दांव
अब गठबंधन का ध्यान मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनावों पर केंद्रित है। बीएमसी, जो देश की सबसे अमीर निकाय है और जिसका वार्षिक बजट कई छोटे राज्यों से बड़ा है, सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है। 227 पार्षदों के लिए होने वाले चुनावों में भाजपा, एमवीए, और महायुति के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है। शिवसेना (यूबीटी) के लिए बीएमसी चुनाव सत्ता की खोई जमीन वापस पाने का मौका है, जबकि भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट इसे अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मान रहे हैं।
गठबंधन के सामने चुनौतियां
महाविकास अघाड़ी के भीतर बढ़ती खींचतान से आगामी चुनावों में उनकी स्थिति और कमजोर हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि एमवीए को अपने मतभेद सुलझाकर युवाओं और विकास पर केंद्रित एजेंडा तैयार करना होगा। वहीं, भाजपा और महायुति के मजबूत प्रदर्शन ने एमवीए के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
बीएमसी चुनाव महाविकास अघाड़ी के लिए न केवल राजनीतिक पुनरुत्थान का अवसर है, बल्कि गठबंधन की एकता की परीक्षा भी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये पार्टियां अपने आंतरिक मतभेदों को कैसे सुलझाती हैं और स्थानीय चुनावों में किस तरह से रणनीति बनाती हैं।