वैष्णवी हगवणे केस में नया खुलासा: वैष्णवी हगवणे आत्महत्या मामले में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। सात दिनों से फरार चल रहे ससुर राजेंद्र हगवणे और उनके बड़े बेटे सुशील हगवणे को पुलिस ने आखिरकार पुणे के स्वारगेट इलाके से गिरफ्तार कर लिया है। इसी बिच, वैष्णवी के 9 महीने के बच्चे को हगवणे परिवार ने पांच दिन तक अज्ञात स्थान पर छुपाकर रखा था और बच्चे को वापस देने से मना कर दिया था। जब कास्पटे परिवार को बच्चा मिला तो उन्होंने तुरंत उसका मेडिकल चेकअप कराया। जांच में बच्चे की कमर पर एक गांठ (लंप) पाई गई। परिवार का शक है कि बच्चे को लगातार 2-3 दिन तक नींद के इंजेक्शन दिए गए होंगे। परिवार का कहना है कि आरोपी बर्बरता की सारी हदें पार कर चुके हैं। (वैष्णवी हगवणे केस में नया खुलासा)
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बता दें, कास्पटे परिवार को वैष्णवी का बच्चा मिलने से पहले वो निलेश चव्हाण नामक व्यक्ति के पास था। कास्पटे परिवार का कहना है कि निलेश कोई पारिवारिक मित्र नहीं है, बल्कि वैष्णवी की ननद करिश्मा हगवणे का करीबी है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले कई पारिवारिक बैठकें भी उसी के ऑफिस में हुई थीं। आरोप यह भी है कि जब परिवार ने बच्चे को उसके घर से वापस लाने की कोशिश की, तो निलेश ने रिवॉल्वर दिखाकर धमकी दी। उसके खिलाफ पुलिस में FIR भी दर्ज की गई है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाला सच
वैष्णवी का पोस्टमॉर्टम पुणे के प्रसिद्ध ससून हॉस्पिटल में डॉ. जयदेव ठाकरे और डॉ. ताटिया द्वारा किया गया। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि वैष्णवी की मौत गला घोंटने से हुई है, और उसके शरीर पर कई जगह मारपीट के निशान भी पाए गए हैं। शरीर के अंदरूनी अंगों और अन्य नमूनों को रासायनिक जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है।
आत्महत्या नहीं, हत्या की साजिश?
हगवणे परिवार का दावा था कि वैष्णवी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की, लेकिन वैष्णवी के मायके यानी कास्पटे परिवार को गहरा शक था की यह हत्या है। अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और शरीर पर मिले निशानों से यह दावा संदेहास्पद हो गया है। कास्पटे परिवार ने पुलिस से मांग की है कि पूरे मामले की जांच हत्या के एंगल से की जाए, न कि आत्महत्या के।