वैष्णवी हगवणे केस: वैष्णवी हगवणे आत्महत्या मामले में फरार सहआरोपी नीलेश चव्हाण के खिलाफ अब शिकंजा कसता जा रहा है। पुलिस द्वारा पहले ‘लुक आउट नोटिस’ जारी की गई थी, लेकिन अब उसकी गिरफ्तारी न होने के कारण पुणे कोर्ट ने 29 मई को ‘स्टैंडिंग वॉरंट’ जारी कर दिया है। पुलिस अब चव्हाण की संपत्ति जब्त करने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
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क्या है मामला?
24 मई को वैष्णवी हगवणे की आत्महत्या से जुड़े केस में नीलेश चव्हाण सहआरोपी है। वैष्णवी की मृत्यु के बाद जब उसका 10 महीने का बच्चा उसके पास था, तब कस्पटे परिवार ने बच्चा वापस लेने की कोशिश की, लेकिन नीलेश ने पिस्तौल दिखाकर धमकी दी। इस पर वारजे माळवाडी थाने में मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा, बावधन पुलिस स्टेशन में वैष्णवी के बच्चे के प्रति लापरवाही को लेकर भी FIR दर्ज है। इन मामलों के बाद से ही नीलेश चव्हाण फरार है और पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में लगी हुई हैं।
पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस की 5 टीमें और पुणे पुलिस की 3 टीमें देशभर में उसकी तलाश कर रही हैं। अब तक पुणे, मुंबई, कोकण, कर्नाटक और गोवा में छानबीन की जा चुकी है। साथ ही उसके रिश्तेदारों और मित्रों से भी पूछताछ जारी है, लेकिन अब तक चव्हाण का कोई सुराग नहीं मिला है।
क्या होता है स्टैंडिंग वॉरंट?
स्टैंडिंग वॉरंट तब जारी किया जाता है जब कोई आरोपी जानबूझकर फरार रहता है और बार-बार बुलाने के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं होता। इस वॉरंट के तहत पुलिस आरोपी के घर और संपत्तियों की सार्वजनिक घोषणाएं करती है। अगर आरोपी फिर भी सामने नहीं आता तो उसे फरार घोषित किया जाता है और कोर्ट की अनुमति से उसकी चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली जाती है।
पुलिस उपायुक्त (परिमंडल 2) विशाल गायकवाड ने कहा कि नीलेश चव्हाण अब तक फरार है। हमने कोर्ट में उसकी संपत्ति जब्त करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था, जिसे कोर्ट ने 29 मई को स्वीकृत कर दिया है।
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