पुणे: पुणे नगर निगम (PMC) ने शहर के जल प्रबंधन में सुधार और बाढ़ जैसी समस्याओं को हल करने के लिए ₹248 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। यह परियोजना केवल एक जल प्रबंधन योजना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के साथ एक संतुलित सह-अस्तित्व की दिशा में एक नई सोच है।
पिछले अनुभव से सीखे गए सबक
पुणे में हाल के वर्षों में मानसून के दौरान बार-बार जलभराव की स्थिति बनी। भारी बारिश के कारण सड़कें जलमग्न हो गईं, जिससे ट्रैफिक जाम और संपत्ति का नुकसान हुआ। इस बार, पीएमसी ने इस चुनौती को अवसर में बदलने का निर्णय लिया।
हर बूँद का सदुपयोग: भविष्य की योजना इस योजना के तहत, पानी की हर बूँद को संरक्षित करने और भूजल को रिचार्ज करने के लिए शहरभर में 1,200 स्थानों पर वर्षा जल संचयन प्रणाली बनाई जाएगी। सार्वजनिक भवनों और सड़कों की छतों का उपयोग इनसे एकत्रित पानी को सीधे भूजल पुनर्भरण कुओं में मोड़ने के लिए किया जाएगा।
आधुनिक जल निकासी प्रणाली: पुराने इलाकों और 23 गांवों में नई प्रणाली लगाई जाएगी, जो जलभराव की समस्या को हल करेगी।
पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास
यह परियोजना शहरीकरण और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने का एक प्रयास है। एनजीओ और विशेषज्ञों के सहयोग से जल पुनर्भरण के लिए बारामती, धामधरे, और मगरपट्टा जैसे क्षेत्रों को चुना गया है। इससे न केवल पानी की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि बाढ़ की संभावना भी कम होगी।
अधिकारियों और विशेषज्ञों का दृष्टिकोण
पीएमसी जल विभाग प्रमुख नंदकिशोर जगताप के अनुसार, “यह परियोजना पुणे के घटते भूजल स्तर को बढ़ाने में सहायक होगी और जल संकट से स्थायी राहत प्रदान करेगी।”
सामाजिक और आर्थिक लाभ
इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि पुणे जैसे तेजी से बढ़ते शहर में जल संकट की समस्या कम होगी। साथ ही, बाढ़ से होने वाले आर्थिक और सामाजिक नुकसान से भी बचा जा सकेगा।
नया दृष्टिकोण: यह परियोजना केवल तकनीकी समाधान नहीं है, बल्कि पानी के संरक्षण के प्रति एक सामूहिक जागरूकता अभियान भी है। पुणे के निवासियों के लिए यह एक मौका है कि वे जल संकट को अपने प्रयासों से दूर कर एक स्थायी भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ।