मुंबई: मुंबई में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले रोहिंग्या और अन्य विदेशी घुसपैठियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह बताता है कि इससे मुंबई का धार्मिक और सांस्कृतिक संतुलन प्रभावित हो सकता है, जो हिंदू आबादी की संख्या में कमी के संकेत दे रहा है।
टाटा इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है कि मुंबई में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता बढ़ रही है। अनुमान के अनुसार, अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो मुंबई की धार्मिक जनसंख्या में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2051 तक मुंबई में हिंदू आबादी घटकर 54 प्रतिशत रह सकती है, जबकि अन्य समुदायों का अनुपात बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध प्रवास और घुसपैठ के मुद्दे ने न केवल संसाधनों पर दबाव डाला है बल्कि इससे आर्थिक, सामाजिक, और धार्मिक संतुलन पर भी असर पड़ सकता है। बढ़ती जनसंख्या के साथ ही सरकार और प्रशासन पर इन प्रवासियों को बसाने और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
आंकड़े और विश्लेषण पर नजर डालें तो कुछ गैर-सरकारी रिपोर्ट्स का मानना है कि अवैध प्रवासी लोगों की संख्या मुंबई में अनुमानतः लाखों में हो सकती है, जो विभिन्न झुग्गी बस्तियों और अनियमित क्षेत्रों में रह रहे हैं। मुंबई में इन क्षेत्रों में सुरक्षा और सामाजिक मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं। कई स्थानीय संगठनों का भी कहना है कि अवैध घुसपैठियों के कारण स्थायी निवासियों के लिए सुविधाओं में कमी हो सकती है।
हाल ही में राज्य सरकार द्वारा किए गए एक जनगणना अध्ययन में यह पाया गया है कि बांग्लादेश और म्यांमार से आए रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इस बढ़ोतरी के चलते भविष्य में हिंदू जनसंख्या पर प्रभाव पड़ने की संभावना व्यक्त की गई है, जिससे मुंबई का धार्मिक-सांस्कृतिक परिदृश्य भी बदल सकता है।
तो यह थी हमारी विशेष रिपोर्ट, जिसमें आपने जाना कि कैसे अवैध प्रवास और घुसपैठ मुंबई की जनसंख्या संतुलन पर प्रभाव डाल रही है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में प्रशासन और सरकार इस समस्या को हल करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।