पुणे के कई इलाकों में कबूतरों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ गए हैं। कबूतरों की बीट और पंखों से निकलने वाले कण हवा में घुलकर सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं, जिससे ‘हाइपर सेंसिटिव न्यूमोनाइटिस’ नामक गंभीर बीमारी हो सकती है। यह बीमारी खांसी, सांस लेने में परेशानी, बुखार और थकान जैसी समस्याएं पैदा करती है। अस्थमा और एलर्जी के मरीजों के लिए यह अधिक खतरनाक है।
कबूतरों की सूखी बीट में मौजूद कीटाणु और फफूंद हवा में फैलकर संक्रमण का खतरा बढ़ा देते हैं। इसे रोकने के लिए महापालिका ने नागरिकों से अपील की है कि वे खुले में कबूतरों को खाना न डालें और अपनी खिड़कियों व बालकनियों में जाली लगवाएं।
सफाई के दौरान मास्क और सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करने और प्रभावित जगहों को कीटाणुरहित रखने की सलाह दी गई है। यदि किसी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सावधानी बरतने से इस समस्या और गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।